धनघटा थाना क्षेत्र के ग्राम रामपुर छितौनी में चल रहे श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस की कथा को विस्तार देने हुए कथा वाचक ने श्रद्धालुओं को हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद की कथा सुनाई। भक्त प्रहलाद की भक्ति की कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथा वाचक स्वामी सूर्यकांताचार्य जी ने कहा कि हिरण्यकश्यप अपने भाई की मृत्यु का बदला भगवान विष्णु से लेने के लिए ब्रह्मा की तपस्या करने के लिए एक वट के नीचे बैठ गया। जहां देव गुरु बृहस्पति तोते का रूप धारण कर वृक्ष पर बैठ गए। नारायण नाम का रट लगाने लगा।
हिरण्यकश्यप तपस्या छोड़ कर घर आ गया। पत्नी ने पूछा कि आप तपस्या छोड़कर क्यों चले आए तो हिरण्यकश्यप ने तोते की बात बताई। पत्नी ने भगवान के नाम का जप किया और गर्भ ठहर गया। भक्त प्रहलाद के रूप में बालक का जन्म हुआ। प्रहलाद गुरूकल में पढ़ने के लिए भेज दिए गए। गुरूकुल से पढ़ने के बाद घर को वापस लौटे तो हिरण्यकश्यप प्रहलाद से शिक्षा ग्रहण करने के बारे में पूछने लगा। हिरण्यकश्यप के सामने ही प्रहलाद भगवान विष्णु का गुणगान करने लगे। इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो उठा और कहा कि तुम मेरे शत्रु का गुणगान कर रहे हो। प्रहलाद ने भगवान विष्णु की अराधना नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप अत्याचार करता रहा और भगवान विष्णु प्रहलाद को बचाते रहे। एक दिन हिरणकश्यप ने प्रहलाद से कहा कि तुम्हारे भगवान कहां हैं। प्रहलाद ने जवाब दिया कि कण-कण में और इस खंभे में भी हैं। इतना सुनते ही हिरणकश्यप ने तलवार निकाल कर खंभे पर वार कर दिया। तब नरसिंह के रूप में भगवान ने प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया।
इस अवसर पर आयोजक पी एन सिंह,धनपति ओझा, राम सिंह, रणविजय सिंह,विक्की सिंह,राम नारायण सिंह,अशोक यादव,राम प्राकास दास, छोटेलाल,सऺतोष सिऺह,प्रदेशी प्रजापति सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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