दुष्टों के विकास एवं धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए होता है ईश्वर का अवतार
ग्रामसभा रामपुर छितौनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथा वाचक स्वामी सूर्यकांताचार्य जी महाराज ने समुद्र मंथन प्रसंग का व्याख्यान किया। श्री कृष्ण जन्म प्रसंग के दौरान जन्मोत्सव मनाया गया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने जय नंदलाल की जयकारा लगाई। भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरुप की झाऺकी निकाली गई, ऐसा लग रहा था कि मानो पुरा पंडाल ही गोकुल बन गया हो। कथा अनुश्रवण करने आए श्रद्धालु हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल के भजनो पर झुमने लगे। श्री कृष्ण जन्म के प्रसंग में छुपे हुए आध्यात्मिक रहस्यों का निरुपण करते हुए स्वामी सूर्यकांताचार्य ने कहा कि जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि होती है, तब तब धर्म की स्थापना के लिए करुणानिधि ईश्वर अवतार धारण करते हैं।परमात्मा का साक्षात्कार ही धर्म है, जिस प्रकार कृष्ण के जन्म से पहले घोर अंधकार था, कारागार के ताले बंद थे, पहरेदार सजग थे और इस बंधन से छुटने का कोई रास्ता नहीं था। ठीक इसी प्रकार ईश्वर साक्षात्कार के अभाव में मनुष्य का जीवन घोर अंधकारमय है। अपने कर्मो की काल कोठरी से निकलने का कोई उपाय उसके पास नही है। उसके विषय विकार रुपी पहरेदार इतने सजग होकर पहरे देते हैं कि उसे कर्म बंधनों से बाहर निकलने नहीं देते। परंतु जब किसी तत्वदर्षी महापुरुष की कृपा से परमात्मा का प्राकटय मनुष्य हृदय में होता है तो परमात्मा के दिव्य रुप प्रकाश से समस्त अज्ञान रुपी अंधकार दूर हो जाते हैं। और मनुष्य की मुक्ति मार्ग प्रशस्त हो जाता है।इस अवसर पर आयोजक पी एन सिंह,धनपति ओझा, राम सिंह,पऺडित अमर वैदिक रणविजय सिंह,विक्की सिंह,शिवा मिश्रा,राम नारायण सिंह,अशोक यादव,राम प्राकास दास, छोटेलाल,सऺतोष सिऺह,प्रदेशी प्रजापति राजमन यादव सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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