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सरकार के संकल्प को साकार करते हुए भाषा विभाग उत्तर प्रदेश के शासनाधीन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा कोरोना काल से लेकर आज तक निरंतर व नि:शुल्क ऑनलाइन संस्कृत भाषा शिक्षण का कार्यक्रम विभिन्न जनपदों से संचालित किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत प्रातः 8:00 बजे से रात्रि 9:00 तक कुशल संस्कृत प्रशिक्षकों द्वारा संस्कृत संभाषण सीखाने का कार्य चल रहा है। समय-समय पर विशिष्ट विद्वानों द्वारा प्रेरणासत्रों का भी आयोजन करता है, इसी क्रम में दिनांक 28 मई 2024 को प्रशिक्षक अमित सामवेदी, आचार्य योगेश अवस्थी, लल्लन बाबू मौर्य, डॉ० श्वेता बरनवाल और शिवानी त्यागी द्वारा गूगल मीट के माध्यम से प्रेरणा सत्र का आयोजन किया गया। इस प्रेरणा सत्र के मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्षचर प्रो० विनय कुमार पाण्डेय महोदय रहे।  

 संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक श्री विनय कुमार श्रीवास्तव और योजनासर्वेक्षक श्री भगवान दास सिंह के सानिध्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के प्रशिक्षक आचार्य योगेश ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्योत्स्ना कुलकर्णी के द्वारा सरस्वती वंदना गायन के साथ हुआ। प्रशिक्षु अंजली ने संस्थान गीतिका का गान किया।  सोनम गोस्वामी ने बहुत ही मधुर स्वर में अतिथियों के स्वागत में स्वागतगीत गाया। प्रशिक्षिका डॉ० श्वेता बरनवाल ने अतिथि का परिचय देते हुए उनका स्वागत अभिनन्दन किया। अशोक देशपांडे, शशिबाला और मनीष त्रिपाठी ने शिक्षा के अनुभव को बताया और मन्त्रिता ने एकल गीत प्रस्तुत किए।

मुख्य अतिथि डॉ० विनय कुमार पाण्डेय महोदय ने उपस्थित सभी प्रशिक्षु और शिक्षकों का मार्गदर्शन करते हुए कहा, कि भाषा के बहुत से माध्यम हैं, जिनसे बहुत से कार्य भी होते हैं, परंतु वही भाषा सफल भाषा कहलाती है जिससे जीवन में लक्ष्य की पूर्ति हो, जिसमें आत्मगौरव और राष्ट्रगौरव निहित हो। प्राय: समाज में देखा जाता है कि बहुत से शिक्षक ज्ञान के भंडार होते हुए भी बोलचाल में संस्कृत भाषा का प्रयोग नहीं कर पाते मुख में भाषा का आभाव होता है, क्योंकि उन्हें इस प्रकार का अवसर ही प्राप्त नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि संस्कृता दृष्टि होनी चाहिए। यह एक ऐसी दृष्टि है जो दया करुणा और विश्व बंधुत्व की भावना से परिपूर्ण होती है, किसमें आज्ञा पालन का भाव होता है, सदाचार होता है। संस्कृत को पढ़ने वाला छात्र कभी भी अनुचित कार्य की तरफ अपना कदम नहीं बढ़ाता है। समाज में प्रचलित विभिन्न भाषाएं आत्मगौरव और राष्ट्र गौरव को प्रतीत नहीं कराती। केवल संस्कृत भाषा ही ऐसी है जो हमारी संस्कृति और राष्ट्र को गौरवान्वित करती है। अतः हमें आवासीय वर्गों में जाकर संस्कृत पढ़ना चाहिए और वहां से आकर परिवार को संस्कारित करके संस्कृतगृह का निर्माण  करना चाहिए। 

इस सत्र में शिक्षणप्रमुख श्री सुधीष्ठ कुमार मिश्र महोदय ने भी अपने प्रेरणादायक शब्दों से प्रशिक्षकों का मार्गदर्शन किया।ऑनलाइनशिक्षणसमन्वयक श्री धीरज मैथाणी, श्री दिव्यरंजन व सुश्री राधा शर्मा उपस्थित रहें। प्रशिक्षिका शिवानी त्यागी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। रमेश चंद्र के द्वारा शांतिपाठ के साथ प्रेरणा सत्र का  समापन हुआ। इस संपूर्ण सत्र में  तकनीकी सहायता का दायित्व आचार्य अमित सामवेदी महोदय जी के द्वारा  निर्वहन किया गया।

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित प्रथम स्तर की संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा के लिए पञ्जीकरण लिंक - https://sanskritsambhashan.com/ जिन छात्रों ने प्रथम स्तर की कक्षा कर ली है, वे द्वितीय स्तर की संस्कृत भाषा शिक्षण के लिए इस  लिंक पर क्लिक कर अपना स्थान सुनिश्चित करें। https://sanskritsambhashan.com/second_level_reg.php

-डॉ० श्वेता-बरनवालः

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