
भाषा विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित ऑनलाइन संस्कृत भाषा प्रशिक्षण एवं पाठ्यक्रम निर्माण योजना के अंतर्गत संचालित सद्यस्क सरल संस्कृत संभाषण कक्षा के अंतर्गत श्रीरामचन्द्र आधृत्य बौद्धिक सत्र का शुभारंभ प्रशिक्षु श्रीवर्धन ने वैदिक मंगलाचरण से किया। मीना शाह ने सरस्वती वन्दना की। सत्र का संचालन संस्थान प्रशिक्षक विष्णु कुमार पाठक ने किया। संस्थान गीतिका प्रियांशी ने प्रस्तुत की। प्रशिक्षु सोनम ने स्वागत गीत गाया। स्वागत भाषण व अतिथि परिचय प्रशिक्षिका डॉ० श्वेता बरनवाल ने किया। मनोरमा ने सुमधुर राष्ट्रभक्ति गीत प्रस्तुत किया। प्रशिक्षु विदुषी और विनोद ने श्रीरामचन्द्र जी से संबंधित अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। प्रभदीप ने वन्दे मातरम् प्रस्तुत कर वातावरण राष्ट्रभक्तिपूर्ण कर दिया। विद्या ने एकश्लोकी रामायण प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि संस्कृतानुरागी, राष्ट्रप्रेमी, विद्वान आचार्य रामानुज ने श्रीरामचन्द्र जी बारे में सभी को बताते हुए कहा कि राम में ही सम्पूर्ण सृष्टि विद्यमान है। जिनकी माया से सभी मंत्रमुग्ध होकर सम्मोहित हो जाते हैं। रामचन्द्र जी न केवल भारतवर्ष में ही पूजनीय है अपितु सम्पूर्ण विश्व उनके दिखाए पथ का अनुसरण करता है। उन्होंने बताया कि राम कृष्ण सभी एक ही हैं। जब सृष्टि पर सज्जनता गिरती है और क्रोध, लोभ, ग्लानि, दुर्जनता और करुणा बढ़ती है तब लोकमंगल, कल्याण व लोकबोध और मानुज के उत्थान के लिए सदैव ईश्वर अवतरित होते हैं। राम के चरित्र से आबालवृद्ध मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। किसके साथ, कब, किसलिए, कैसा व्यवहार करना चाहिए, ये
सीखते हैं हम रामजी से।प्रशिक्षुओं का उत्साह वर्धन करते हुए मुख्यातिथि ने कहा कि हमारा चरित्र ब्राह्मण के समान, सामर्थ्य क्षत्रिय के समान, वाणिज्य वैश्य के समान और कृत्य शूद्र के अनुसार होने चाहिए। जीवन में थोड़ी समस्याएं आते ही हमारा मुख कष्टप्रद हो जाता है तब हमें श्री रामचंद्र जी के मुख को देखना चाहिए और उनके दिखाए पथ का अनुसरण करना चाहिए। सत्र में संस्थान प्रशिक्षक महेन्द्र मिश्रा ने समागतों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ,प्र. अधिकारी डॉ. दिनेश मिश्र, सर्वेक्षिका डॉ. चंद्रकला शाक्या , प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र, समन्वयकगण धीरज मैठाणी, दिव्य रंजन तथा राधा शर्मा, अनिल गौतम, संस्थान प्रशिक्षक नागेश दुबे, ओमदत्त, अनीता पाण्डेय व अन्य सामाजिक जन ऑनलाइन माध्यम से समुपस्थित थे। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित
प्रथम स्तर की संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा के लिए पञ्जीकरण लिंक - https://sanskritsambhashan.com/ जिन छात्रों ने प्रथम स्तर की कक्षा कर ली है, वे द्वितीय स्तर की संस्कृत भाषा शिक्षण के लिए इस लिंक पर क्लिक कर अपना स्थान सुनिश्चित करें। https://sanskritsambhashan.com/second_level_reg.php
डॉ० श्वेता-बरनवालः
Post a Comment