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आदिपुरुष के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर ने एक पोस्ट लिखकर बताया कि कुछ डायलॉग्स को हटाया जाएगा। लोगों की भावनाओं को देखते हुए यह फैसला  लिया गया है। जल्द ही फिल्म नए डायलॉग के साथ सिनेमाघरों में 
आएगी। मनोज मुंतशिर ने अपने पोस्ट में लिखा, रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है,वो है हर भावना का सम्मान करना। सही या गलत,समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है। आदिपुरुष में 4000 से भी ज्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुईं। उन सैकड़ों पंक्तियों में जहां श्री राम का यशगान किया, मां सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं। मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे। वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही मां को अभद्र शब्दों से संबोधित किया। मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहां से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर मां को अपनी मां मानते थे। मनोज ने कहा,हो सकता है, 3 घंटे की फिल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पनासे अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाजी क्यों की, मैं जान नहीं पाया। क्या आपने जय श्री राम गीत नहीं सुना, शिवोहम नहीं सुना, राम सिया राम नहीं सुना? आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियां भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं। तेरी मिट्टी और देश मेरे भी तो मैंने ही लिखा है। मुझे आपसे कोई शिकायत
नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे। हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जाएगा। हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनाई है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे। ये पोस्ट क्यों?
क्योंकि मेरे लिए आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है। मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूं,
लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी। मैंने और फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फिल्म में शामिल किए जाएंगे। श्री राम आप सब पर कृपा करें।

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