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उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के द्वारा सञ्चालित बीस-दिवसीय-संस्कृतभाषाशिक्षण-
कक्षा में जून माह के १७ दिनाङ्क को बौद्धिक-सत्र का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में प्रशिक्षुओं की प्रतिभागिता रही। जिनमें आयुष -वैदिकमङ्गलाचरण, सोनिका-सरस्वती वन्दना, संस्थान-गीतिका - मञ्जू और स्वागत-गीत -कुमुद जी के द्वारा किया। तत्पश्चात् अतिथि-परिचय, वाचिकस्वागत और योजना का  वृत्त-कथन संस्थान की प्रशिक्षिका शिवानी जी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में हृषिकेश, वाणी, ललिता, सुरभि, सोनिका, मीता आदि प्रशिक्षुओं ने अनुभवकथन गीतादि की प्रस्तुतियाँ सुन्दर शैली में की। उत्तरप्रदेशसंस्कृतसंस्थान के द्वारा  प्रातिभाषिक-संस्कृत-भाषा-शिक्षण के साथ अन्य योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं। जैसे कि- गृहे गृहे संस्कृतम्, योग, पौरोहित्य, ज्योतिष, आदि हैं। इस कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में समागत *सुधाकर तिवारी* प्रवक्ता के०के० इण्टरकालेज कन्नौज ने स्वोद्बोधन में कहा कि- हम जैसी भाषा का प्रयोग करते हैं हमारा व्यक्तित्व भी वैसा हीं हो जाता है। जीवन को यदि गहनता से देखें तो हम कह सकते हैं कि जन्म का उद्देश्य मात्र अच्छा भोजन, अधिक धनार्जनादि न होकर किसी गूढ़ उद्देश्य के लिए हुआ है। उस उद्देश्य का ज्ञान संस्कृतभाषा के माध्यम से निरन्तर चिन्तन से ही मिलता है। यह एक ऐसी भाषा है जो कर्तव्य और निषिद्ध दोनों को बोध कराते हुए और सामाजिकता का बोध कराते हुए आपको जन्म के अलौकिक उद्देश्यों का बोध कराती है। स्वहित के स्थान पर सर्वहित की भावना का आधान करती है। इसी क्रम में वक्ता ने संस्कृत भाषा के शिक्षण के लिए संस्थान का धन्यवाद भी ज्ञापित किया।

कार्यक्रम मे  उत्तरप्रदेशसंस्कृतसंस्थान के प्रमुख सचिव जितेंद्रकुमार, निदेशक विनयश्रीवास्तव, सर्वेक्षिका श्रीमतीचन्द्रकलाशाक्या, प्रशिक्षणप्रमुख श्रीसुधिष्ठकुमारमिश्र, प्रशिक्षणसमन्वयक धीरजमैथानी दिव्यरंजन और राधा शर्मा उपस्थित रहें। कार्यक्रम सञ्चालन संस्थान के प्रशिक्षिका-पूजा वाजपेयी ने, धन्यवाद-ज्ञापन मीना कुमारी ने और शान्तिमन्त्र प्रशिक्षु हृषिकेशझा  ने किया। कार्यक्रम में संस्थान के सभी प्रशिक्षक सभी प्रशिक्षु उपस्थित रहें। सम्पूर्ण सत्र में तकनीकि सहयोग और सूचनादान प्रशिक्षिका डॉ० श्वेता-बरनवाल द्वारा किया गया।

न केवल छात्र, बालक, पुरुष इस कक्षा में पढ़ सकते हैं, अपितु  सभी क्षेत्र सभी आयु वर्ग के लोग अब संस्कृतभाषा को सीख सकते हैं। तर्हि शीघ्रं पञ्जीकरणं कुर्वन्तु- https://sanskritsambhashan.com/


डॉ० श्वेता-बरनवाल

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