विदुर उद्धव से कहते है कि आप तो भगवान के करीबी रहे बड़े भाग्यशाली व्यक्ति हो, जो भगवत धर्म का उपदेश आपको मिला है। वही भगवत धर्म का उपदेश मुझे भी बताने की कृपा करें। उद्धव महाराज ने कहा कि विदुर जी मैं जानता हूं कि आप कोई साधारण मानव नहीं है। भगवान जब स्वधाम गमन किए तो उस समय भगवान ने किसी को याद नहीं किया। लेकिन भगवान सिर्फ आपको तीन बार याद किए कि मेरे विदुर काका कहां है। आप तो बड़े भाग्यशाली है आप ही मुझे भगवत धर्म का उपदेश दे दीजिए। पुनः विदुर जी ने कहा कि उद्धव जी आप ही श्रेष्ठ हैं और आप ही मेरा मार्गदर्शन करिए। उद्धव जी महाराज ने कहा विदुर जी हम इस समय तो बद्रीका आश्रम जा रहे हैं। आप एक काम करिए यहां से कुछ दूरी पर मैत्रेय ऋषि का आश्रम है। आप महात्मा मैत्रेय मुनि से भगवान के कथाओं को श्रवण करिए।विदुर जी ने मैत्रेय मुनि का दर्शन किया और उनसे भगवान सृष्टि कैसे करते हैं इस विषय पर चर्चा की मैत्रेय मुनि ने कहा भगवान नारायण के नाभि कमल से ब्रह्मा की उत्पत्ति होती है और ब्रह्मा से रूद्र इसके बाद ब्रह्मा जी 10 मानसिक सृष्टि करते हैं इसी क्रम में एक पुरुष और कन्या की उत्पत्ति होती है स्वयंभू मनु और शतरूपा जिनके द्वारा मानवीय शृष्टि प्रारंभ हुई।
मनु और शतरूपा के दो पुत्र और तीन पुत्रियां हुई नाम पड़ा आकूति देवहुति और प्रसूति बेटा हुए प्रियव्रत और उत्तानपाद,देवहूति नाम की कन्या का विवाह ऋषि कर्दम के साथ में हुआ था। कर्दम ऋषि तपस्या करते थे। 1 हजार वर्ष तक कठिन तपस्या किया उन्होंने। उनकी कठिन तपस्या को देखकर भगवान नारायण प्रकट हुए। करदम ऋषि की तपस्या को देखकर भगवान नारायण के आंखों से अश्रु धारा बह गए। और जो अश्रु धारा बहे उससे इंद्र सरोवर बने। पांच सरोवर में ये सरोवर शामिल है। जब राधा रानी और श्रीकृष्ण पहली बार मिले और जब दोनों एक-दूसरे को देखे तो अश्रु धारा बहे। वही प्रेम सरोवर बना।
इस अवसर पर आयोजक पी एन सिंह,धनपति ओझा, राम सिंह, रणविजय सिंह,विक्की सिंह,राम नारायण सिंह,अशोक यादव,राम प्राकास दास, छोटेलाल,सऺतोष सिऺह,प्रदेशी प्रजापति सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
ब्यूरो रिपोर्ट - लखनऊ
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