वर्तमान समय में संस्कृत भाषा के प्रशिक्षण कार्य बहुत ही संस्थाओं के द्वारा किया जा रहा है किंतु उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के द्वारा संचालित कक्षा लगानी है संस्थान के द्वारा न केवल ऑफलाइन माध्यम से 'गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना', 'योग एवं पौरोहित्य प्रशिक्षण योजना' और 'यूपीएससी पाठन योजना' इत्यादि योजनाएं संचालित की जा रही हैं आप ही तो ऑनलाइन माध्यम से भी लोगों को संस्कृत संभाषण सिखाया जा रहा है। इसी क्रम में संस्थान के द्वारा संचालित होने वाली दो स्तर की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं जिनमें प्रतिमास 20 दिनों में संस्कृत भाषा शिक्षण विभिन्न प्रशिक्षकों के द्वारा निःशुल्क दिया जाता है। कोई भी संस्कृत भाषा सीखने का इच्छुक व्यक्ति पंजीकरण कर सकता है और संस्कृत का अध्ययन कर सकता है। पंजीकरण प्रदत्त इस लिंक के माध्यम से किया जा सकता है - https://sanskritsambhashan.com/ । अक्टूबर मास के प्रेरणा सत्र का आयोजन 20 अक्टूबर रविवार को किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में लौकिक मंगलाचरण स्वरूप सरस्वती वंदना रिचा पाठक ने किया। तत्पश्चात् गीता वशिष्ठ महोदय ने संस्थानगीतिका प्रस्तुत किया। व्रत कथन योजना के सम्यक गण में से एक दिव्यरंजन महोदय ने किया। अतिथि परिचय और वाचिक स्वागत प्रशिक्षिका डॉ० श्वेता बरनवाल महोदया ने किया। इस सत्र में मुख्य वक्ता जनता इंटर कॉलेज के प्रवक्ता डॉ राम प्रवेश त्रिपाठी महोदय थे। महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा संवैधानिक भाषा है। संस्कृत के बिना जीवन शैली पशुवत् होती है, इस संदर्भ में एक सूक्त भी प्रसिद्ध है कि "ज्ञानेन हीनाः पशुभिस्समानाः" अर्थात् ज्ञान से हीन व्यक्ति पशु के समान होता है। अतः हमारी हमारे आचार विचार और जीवन शैली संस्कृत युक्त होनी चाहिए, तभी उसमें परोपकार की भावना संस्कृत और संस्कृति के संरक्षण की भावना आती है । संस्कृत के बिना भारत की संकल्पना करना उचित नहीं है, इसी विषय में कहा भी गया है कि भारत की दो ही प्रतिष्ठाएं हैं संस्कृत और संस्कृति - 'भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा'। कहने का तात्पर्य है कि संस्कृति और संस्कृति के रक्षण से ही हमारी ज्ञान परंपरा का ज्ञान होता है। आगे डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत में कला के साथ ही विज्ञान के विषय भी प्राप्त होते हैं। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार, निदेशक विनय श्रीवास्तव, सर्वेक्षक श्री भगवान सिंह महोदय, प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र, प्रशिक्षण समन्वय धीरज मैथाणी, दिव्यरंजन और राधा शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के प्रशिक्षक अंशु गुप्त ने किया तो वहीं धन्यवाद ज्ञापन प्रशिक्षिका अनीता पांडे महोदया ने किया। गोपाल मिश्रा महोदय ने शांति मंत्र और सूचना के द्वारा गोष्ठी का समापन किया। इस संपूर्ण गोष्ठी में मीटिंग संचालन प्रशिक्षक महेंद्र मिश्र ने किया। गोष्ठी में संस्थान के प्रशिक्षुओं के साथ ही सामाजिक लोग भी उपस्थित रहे।
प्रेषिका- डॉ० श्वेता-बरनवाल
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