उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा ऑनलाइन संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा में १८ फरवरी २०२३ को शिक्षण को प्रभावशाली बनाने हेतु बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया। सत्र का शुभारम्भ सरस्वती वंदना (कमलेश तिवारी) के द्वारा किया गया।संस्थानगीतिका (कुन्दमाला) स्वागत गीत (आस्था शुक्ला) के द्वारा तथा वाक् पुष्पांजलि से अथितियों का स्वागत परिचय एवं वृत कथन संस्थान की प्रशिक्षिका डॉ० श्वेता बरनवाल के द्वारा किया गया इस दौरान कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रही डॉ० ज्योति राज ( (प्रवाचिका, संपादिका और संवाददात्री वार्तावली, डी०डी०न्यूज। सहायकाचार्या, संस्कृत प्राच्य विद्याध्ययन संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली)) ने अपने सम्बोधन में संस्कृत के प्रति लोगो को जागरूक करते हुए तथा संस्कृतशब्दों की विशिष्टता बताते हुए कहा कि - जैसे हम संस्कृत के शब्दों को सुनकर उन शब्दों के चिन्तन तथा अर्थ अवगमन को भाषा का वास्तविक स्वरूप और मनुष्य को निरन्तर चिन्तन करने वाला बताया। उदाहरण के लिए उन्होंने संस्कृत भाषा के पादप हृदय खग अक्षर आदि शब्दों का चिन्तन कर प्रशिक्षुओं को अन्य शब्दों का गूढ़ चिन्तन करने की प्रेरणा प्रदान की। संस्कृत भाषा को भारतीय संस्कृति से जोड़ते कहा कि संस्कृत भाषा के एक- एक शब्द का अर्थ अन्य भाषाओं की अपेक्षा अधिक ग्राह्य, शोधपूर्ण, और सरल है। उन्होंने लोगो को सम्बोधित करते हुए शब्दों का सही उच्चारण भी सिखाया।
इस योजना से केवल प्रदेश के ही नहीं वरन् देश- विदेश के लोग भी घर बैठे ऑनलाइन निःशुल्क संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। उत्तरप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सपनों को साकार करने में उ०प्र०संस्कृत संस्थान अपने प्रशिक्षकों के द्वारा कक्षाएं चलायी जा रही हैं। जो बहुत ही सराहनीय है।
इस दौरान प्रशिक्षुवो ने भी अनुभव कथन गीतादि संस्कृत भाषा में प्रस्तुत किएं। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पूजा वाजपेयी के द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के प्रशिक्षक शिवप्रताप मिश्र के द्वारा एवं शान्ति मन्त्र श्रीमती कुमुद सिंह के द्वारा किया गया। इस सत्र में उ०प्र० संस्कृत संस्थान निदेशक- श्रीविनय श्रीवास्तव, प्रशासनिक अधिकारी- जितेन्द्र कुमार, तकनीकी प्रशिक्षक- शांतनु मिश्रा, डॉ० दिनेश मिश्र, पर्यर्वेक्षिका- डॉ. चंद्रकला शाक्या, प्रशिक्षण प्रमुख सुधिष्ठ मिश्र, प्रशिक्षण समन्वयक - श्रीधीरज मैठणी, श्रीदिव्यरंजन, सुश्री राधा शर्मा, संस्थान के सभी प्रशिक्षक तथा देश - विदेश के प्रशिक्षु सम्मिलित रहें।
-डॉ० श्वेता बरनवाल
Post a Comment