उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ एवं भाषा विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आयोजित 20 दिवसीय संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा में दिनांक 14 नवम्बर को ( बालदिवस के दिन) बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया। बौद्धिक सत्र का आरम्भ वैदिक मंगलाचरण से अनुज तिवारी के द्वारा और सरस्वती वन्दना रितु कामत के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की मुख्यातिथि डॉ० नवलता (एसोसिएट प्रोफेसर विक्रमजीतसिंह सनातनधर्म महाविद्यालय, कानपुर) का स्वागत सत्रसमन्विका डॉ० श्वेता बरनवाल के द्वारा तथा प्रशिक्षु आराधना के स्वागत-गीत से किया गया। मुख्य-अतिथि ने बताया कि भारत को विश्वगुरू बनाने के अन्तर्गत उत्तरप्रदेश सरकार की यह योजना अत्यन्त सराहनीय है क्योंकि अन्य भाषाओं और विषयों के ज्ञान के साथ हमारे मूल में संस्कृत भाषा का ज्ञान आवश्यक है। इसी बात को लक्ष्य कर अतिथि महोदया ने संस्कृतक्षेत्र के प्रथम भारतरत्न प्राप्त आई०ए०एस० डॉ०पाण्डुरङ्गवामन काणे के प्रभावशाली एवं प्रेरणादायक व्यक्तित्व से परिचय कराया। आग्रह करते हुए अतिथि ने कहा कि संस्कृत भाषा को मूल में रख कर हम जिस भी क्षेत्र में जाएंगे, निःसन्देह उत्तम राष्ट्र का निर्माण कर पाएंगे। कार्यक्रम में उपस्थित सभी को अधिक से अधिक संख्या में पंजीकरण कराकर स्वयं और अपने स्वजनों को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा आयोजित संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा में अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया ।कार्यक्रम के मध्य में प्रशिक्षुओं (ऋषिकेश, मीना मिस्त्री, विद्या, मञ्जरी आदि) के द्वारा अनुभवकथन गीतादि प्रस्तुत किए गए। इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक- विनय श्रीवास्तव जी, पदाधिकारी दिनेश मिश्रजी, पर्यवेक्षक जगदानन्द झा जी, प्रशिक्षण समन्वयक धीरज मैथाणी, नागेश दुबे, दिव्य रंजन महोदय एवं राधा शर्मा आदि उपस्थित रहें। बौद्धिक चर्चा का संचालन- प्रशिक्षिका डॉ० स्तुति गोस्वामी और तकनीकि सहयोग और अतिथि परिचय संस्थान की प्रशिक्षिका एवं सत्र समन्वयिका- डॉ० श्वेता बरनवाल के द्वारा, धन्यवादज्ञापन प्रशिक्षक शिवप्रताप मिश्र के द्वारा, ध्येयगीत, शांतिमन्त्र और सूचना अनीता वर्मा जी के द्वारा सम्पन्न हुआ।
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- डॉ० श्वेता बरनवाल
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