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उत्तरप्रदेश सरकार और उत्तरप्रदेश संस्कृत संस्थान के द्वारा  चलाए जा रहे संस्कृत शिक्षण योजना में १३ जुलाई२०२२ को गुरुपूर्णिमा के अवसर पर बौद्धिक-सत्र का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ। उसके बाद महर्षिव्यास कौन थे? उनकी रचनाएँ कौन - कौन सी हैं?  आषाण मास में हीं गुरुपूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? इत्यादि विषयों का बोध कराते हुए सत्र के मुख्य वक्ता चन्द्रकान्त दत्त शुक्ल ( महासचिव: चातुर्वेद प्रचार संस्थान) ने कहा - *धर्मे च अर्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।

यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत्क्वचित् ।।* 
संस्कृत को भारतीयता से जोड़ते हुए कहा कि
स्वयं के विकास और राष्ट्र भावना को विकसित करने के लिए संस्कृतभाषा का ज्ञान आवश्यक है। हमारे कर्तव्य हीं धर्म हैं। शुक्ल महोदय ने उत्तर प्रदेश सरकार, उ० प्र० संस्कृत संस्थान के प्रयासों की और प्रशिक्षुओं की सराहना की। 
इस कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश संस्कृतसंस्थान के अध्यक्ष- डॉ०वाचस्पतिमिश्र, निदेशक- श्रीपवनकुमार, योजनासर्वेक्षिका- श्रीमतीचन्द्रकला शाक्या, प्रशिक्षणप्रमुख- श्रीसुधीष्ठमिश्र, समन्वयक- श्रीधीरजमैठाणी, प्रशिक्षिका- डॉ० श्वेता-बरनवाल आदि उपस्थित रहें। जो भी संस्कृत भाषा सीखने के इच्छुक है अभी निःशुल्कपञ्जीकरण करें-  https://sanskritsambhashan.com

-डॉ०श्वेता-बरनवाल

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