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उत्तरप्रदेश सरकार और उत्तरप्रदेश संस्कृतसंस्थान के द्वारा  आयोजित संस्कृत शिक्षणयोजना में १ जुलाई२०२२ को समापनसत्र का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वतीवन्दना और वैदिकमङ्गलाचरण से हुआ। प्रशिक्षुओं के द्वारा अनुभवकथन, संस्कृतगीत और पाठ्यविन्दुओं की प्रस्तुति की गई। इसकार्यक्रम में पधारे प्रो० हरिप्रसाद अधिकारीगुरुजी - (अध्यक्ष तुलनात्मकधर्मदर्शनविभाग सम्पूर्णानन्दसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी) द्वारा प्रशिक्षुओं को सम्बोधित करते हुए संस्कृतभाषा की महत्ता को बताया- "आत्मानं नैव जानाति यो न जानाति संस्कृतम्" अर्थात् स्वयं को जानने के लिए संस्कृतभाषा का ज्ञान मुख्य है। गुरुजी ने उत्तरप्रदेश सरकार, संस्कृतसंस्थान के प्रयासों की और प्रशिक्षुओं की सराहना की। इस कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश संस्कृतसंस्थान के अध्यक्ष- डॉ०वाचस्पतिमिश्र, निदेशक- श्रीपवनकुमार, योजनासर्वेक्षिका- श्रीमतीचन्द्रकला शाक्या, प्रशिक्षणप्रमुख- श्रीसुधीष्ठमिश्र, समन्वयक- श्रीधीरजमैठाणी, प्रशिक्षिका- डॉ० श्वेता-बरनवाल, प्रशिक्षुषु जाह्नवी, स्वाति, गरुण, वन्दना, भावना, सोनिका, रामांश इत्यादि उपस्थित रहें।

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-डॉ०श्वेता-बरनवाल

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