Ads (600)


उत्तर प्रदेश सर्वकार और उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के द्वारा आयोजित संस्कृतशिक्षण योजना में २८मई२०२२ को बौद्धिकसत्र का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ। जिसके पश्चात् सामान्यपरिचय के बाद मुख्यवक्ता श्रीसुशील कुमार (उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के सहसमन्वयक) ने प्रशिक्षुगणों को सम्बोधित करते हुए आधुनिक जीवन में भारतीय संस्कृति के महत्त्व और संस्कृतभाषा की उपयोगिता बताते हुए कहा कि प्रत्येक भारतीय को संस्कृत भाषा का व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि संस्कृत हीं एक ऐसी भाषा है जो यह सीखाती है कि दूसरों की सहायता करनी चाहिए। "परित्राणाय साधूनाम्" से कहा जा सकता है कि संस्कृतभाषा जातिविशेष या धर्मविशेष की भाषा नहीं है, अपितु ये समस्त भारतीय की भाषा है। सारगर्भित

इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष- डॉ०वाचस्पति मिश्र, निदेशक- श्रीपवन कुमार, योजना-सर्वेक्षिका- श्रीमतीचन्द्रकला शाक्या, प्रशिक्षणप्रमुख- श्रीसुधीष्ठ मिश्र, समन्वयक- श्रीधीरज मैठाणी, डॉ० श्वेता-बरनवाल, श्रीमतीअनीता वर्मा, श्रीरञ्जीत तिवारी, श्रीगणेश दत्त द्विवेदी आदि प्रशिक्षक उपस्थित रहें।

नि:शुल्क संस्कृतशिक्षण कक्षा में पढ़ने के इच्छुक लोग “sanskritsambhashan.com” इस लिङ्क पर अपने अनुकूल मास एवं समय का चयन कर पञ्जीकरण कराएं। जो प्रथमस्तर पढ़ लिए हैं उनके लिए द्वितीयस्तर पञ्जीकरण लिङ्क् “https://sanskritsambhashan.com/second_level_reg.php


- डॉ० श्वेता-बरनवाल

Post a Comment